अब डीजल कार मत खरीदना! हो सकता है आपके लिए घाटे का सौदा

Diesel Car: अगर आपके पास डीजल कार है तो आपके लिए बड़ी मुश्किल पैदा होने वाली है। खासतौर पर अगर आप देश के बड़े शहरों में से किसी में रहते हैं तो आपके लिए वाकई चिंता की बात है। एक वक्त था जब ताकतवर डीजल एसयूवी, बेहतर माइलेज और डीजल की कम कीमत के चलते लोग ऐसी गाड़ियों को ज्यादा पसंद करते थे हालांकि बाद में तमाम पेट्रोल डीजल कारों को लेकर लोगों में निराशा पैदा कर दी.

अब सरकार एक बड़ा फैसला ले सकती है। फैसला ये है कि अब बड़े शहरों में रहने वाले लोगों के लिए डीजल कारों को दो हज़ार 27 तक अलविदा कहना पड़ सकता है। आपको अपनी डीजल कार को छोड़ना पड़ सकता है। ऐसा इस वजह से होगा क्योंकि तेल मंत्रालय के एक पैनल ने अपनी फाइनल रिपोर्ट में कहा है कि भारत को दो हज़ार 27 तक ऐसे सभी शहरों में डीजल फोर व्हीलर गाड़ियों पर बैन लगा देना चाहिए, जिनकी आबादी 10 लाख या उससे ज्यादा है।

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इसका मतलब है कि दिल्ली एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई समेत देश के तमाम शहरों में डीजल फोर व्हीलर गाड़ियों पर दो हज़ार 27 तक पूरी तरह से बैन लगाया जा सकता है। अगर सरकार ये फैसला लागू करती है तो लोगों को डीजल कारों को हटाना पड़ेगा।

सबसे बड़ी मुश्किल ऐसे लोगों को होने वाली है जिन्होंने हाल के वक्त में डीजल कार खरीदी होगी। साथ ही नए कस्टमर्स भी डीजल गाड़ियां खरीदने का फैसला टाल सकते हैं। पेट्रोलियम मिनिस्ट्री की एनर्जी ट्रांजिशन एडवाइजरी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स बनाया जाए, जिनमे पेट्रोलियम, कोल, पावर और रिन्यूवल जैसे मंत्रालयों के मंत्री शामिल हैं।

पैनल का कहना है कि देश के एनर्जी बास्केट में दो हज़ार 35 तक ग्रिड पावर की हिस्सेदारी डबल होकर 40 पर्सेंट की हो जानी चाहिए। इसमें ये भी कहा गया है सबसे बड़ी बात ये है कि पैनल ने अपनी पैनल रिपोर्ट में कहा है कि डीजल से चलने वाली कारों को जल्द से जल्द खत्म कर दिया जाना चाहिए।

ऐसे में देश के सभी 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों और कस्बों में अगले पाँच साल के भीतर यानी दो हज़ार 27 तक डीजल कारों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया जाना चाहिए और अगर सरकार पैनल की रिपोर्ट को लागू करती है तो डीजल कारें चलाने वालों के लिए बड़ी मुसीबत पैदा हो सकती है।

आमतौर पर एसयूवी डीजल इंजन वाली होती है। हालांकि बीते कुछ वक्त में डीजल कारों को लेकर लोगों का रुझान कुछ कम हुआ है। इसकी कई वजहें हैं एक तो पॉल्यूशन। दूसरा डीजल और पेट्रोल की कीमतों के बीच अंतर कम हो गया है। गुजरे वर्षों में डीजल कारों का कुल कार मार्केट में हिस्सेदारी घट गई है।

दो हज़ार 22 के आंकड़ों को देखें तो देश में बिकी कुल कारों में डीजल कारों का हिस्सा मात्र 19 पर्सेंट रहा जबकि पेट्रो गाड़ियों की हिस्सेदारी 60 पर्सेंट थी। सीएनजी कारों की सिरारी 11% इलेक्ट्रिक गाड़ियों की एडिशन तीन फीसदी और हाइब्रिड गाड़ियों की सवारी में विशुद्ध रूप पाँच फीसदी, दो हज़ार 22 में कुल 7,16,730 डीजल कारें देश में बिकी हैं, जबकि पेट्रोल की 25,00,070 हज़ार 910 कारों की बिक्री हुई है।

यानी देश के कार बाजार में डीजल कारें वैसे ही अपनी जगह खोती जा रही हैं और सरकार अगर दो हज़ार 27 तक बड़े शहरों से हटाने का मन बना लेती है तो जाहिर तौर पर इससे डीजल कारों का बाजार पूरी तरह से खत्म हो सकता है।

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