Green Hydrogen Fuel: जैसा कि आप लोग जानते हैं कि दुनिया तेजी के साथ बदल रही है ऐसे में पेट्रोल डीजल की जगह अब इलेक्ट्रिक कारों ने लेना शुरू किया है. लेकिन इलेक्ट्रिक कारों की भी अपनी एक सीमा है और ऐसे में आप लोगों को मालूम है कि इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने के लिए बिजली खर्च होता है. ऐसे में अगर बिजली उत्पन्न करने वाले साधन समाप्त हो जाए ऐसे में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का भी संचालन करना मुश्किल होगा.
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अब भारत सरकार ने वैकल्पिक ईंधन की तरफ ध्यान दिया है. उस इंधन का नाम ग्रीन हाइड्रोजन है. इसके माध्यम से आप किसी भी गाड़ी को आसानी से संचालित कर सकते हैं. इसलिए सरकार इस इंधन पर अच्छा-खासा पैसा निवेश कर रही है ताकि इसे वैकल्पिक ईंधन बनाया जा सके.
यदि आप भी जानना चाहते हैं कि आखिर में ग्रीन हाइड्रोजन होता क्या है? और इसके माध्यम से गाड़ियां किस प्रकार संचालित होंगी तो इस आर्टिकल पर आखिर तक बने रहे…
ग्रीन हाइड्रोजन क्या है
हाइड्रोजन का निर्माण 150 साल पहले ही वैज्ञानिकों के द्वारा कर लिया गया था. लेकिन इसका इस्तेमाल उतना नहीं हुआ जितना होना चाहिए क्योंकि पेट्रोल और डीजल जैसे प्रमुख ईंधन का इस्तेमाल होता आया है और यह इंधन दुनिया के अधिकांश देशों के द्वारा किया जा रहा है.
इस स्थिति में दुनिया की तीन बड़ी कार कंपनियां जापान की होंडा व टयोटा और दक्षिण कोरिया की ह्यूंडई ने ग्रीन इंधन पर कम करना शुरू कर दिया है. इन्होंने हाइड्रोजन से चलने वाली कारें पेश की है. लेकिन हाइड्रोजन को बनाने के लिए बिजली की खपत बहुत ज्यादा होती है.
इसकी बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल है ऐसे में बिजली को बनाने के लिए कोयला और दूसरे प्रकार के आवश्यक इंधन की जरूरत पड़ती है. वैज्ञानिकों के द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण किया इसे बनाने के लिए सोलर ऊर्जा की जरूरत पड़ती है. सोलर ऊर्जा सूर्य के प्रकार के द्वारा बनाया जाता है इसलिए इसमें लागत भी कम आती है. यही वजह है कि ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल आज की तारीख में कई बड़ी कार निर्माता कंपनियां शुरू करने पर विचार कर रही है I
ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की लागत अधिक है?
ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की लागत ₹250 प्रति किलो है. ऐसे में कई कंपनियों को लगता है कि इस ईंधन के इस्तेमाल से गाड़ी की कीमत बढ़ सकती है. इसलिए विज्ञानिक इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कैसे भी इसकी कीमत को ₹100 प्रति किलो पर लाया जा सके. ताकि जो भी व्यक्ति ग्रीन हाइड्रोजन युक्त गाड़ियों का निर्माण करेगा उसे ग्रीन हाइड्रोजन खरीदने में आसानी होगी, इसलिए इस पर लगातार रिसर्च और खोजबीन जारी है I
टयोटा की कार देती है 250 किमी का माइलेज
टोयोटा नाम की कंपनी ने ग्रीन हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी पर एक कार का निर्माण किया था. इस car मे एक बार हाइड्रोजन भरवाया गया था और कार ने कुल मिलाकर 13260 किलोमीटर का सफर तय किया. इसमें कार की माइलेज 250 किलोमीटर प्रति घंटा की थी.